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Anjali Gurjar
Anjali Gurjar

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कहानी: "छोटी-सी ज़िंदगी, बड़ी-सी सोच"

कहीं एक गाँव में एक छोटी-सी लड़की थी — अंशिका।
बचपन से ही उसे सिखा दिया गया था कि लड़कियाँ नाज़ुक होती हैं, उन्हें सीमाओं में रहना चाहिए। खेलने-कूदने, बड़े सपने देखने, अपने मन की बात कहने पर अघोषित रोक थी।
उसे यही बताया गया कि एक दिन उसकी शादी होगी और उसे एक नए घर में जाना होगा — सब कुछ छोड़कर।

अंशिका मानती थी कि हर लड़की घर की "परी" होती है।
पर उसे जल्द ही समझ आया कि असली परीक्षा शादी के बाद शुरू होती है — जहाँ हर लड़की से उम्मीद की जाती है कि वह अपना सब कुछ भूल जाए, और सिर्फ नए घर के बारे में सोचे।

लड़कियाँ अपना घर, अपने सपने, यहाँ तक कि अपनी पहचान भी छोड़ देती हैं।
लेकिन फिर भी, सबसे ज़्यादा सोचने की ज़िम्मेदारी उन्हीं पर डाली जाती है।
वो महसूस करती थी कि लड़कों को ज़्यादा आज़ादी मिलती है — सपने देखने की, गलतियाँ करने की, आगे बढ़ने की।
पर लड़कियों को छोटी-छोटी बातों पर भी ताने मिलते हैं।

अंशिका ने यह भी देखा कि समाज लड़कों को ताकतवर बनाता है, लेकिन लड़कियों को कमज़ोर सोच देता है।
उन्हें सिखाया जाता है "सहन करो", "समझौता करो", लेकिन "खुद के लिए सोचो" नहीं सिखाया जाता।

अंशिका की ज़िंदगी में एक इंसान आया — एक ऐसा इंसान जिसने उसे अपने अंदर झाँकना सिखाया।
उसने अंशिका को यह एहसास दिलाया कि मजबूती केवल बाहरी नहीं, बल्कि अंदर से भी होनी चाहिए।
अपने फैसले खुद लेना, सही-गलत की पहचान करना, अपने विचारों पर भरोसा करना — यही असली ताकत है।

अंशिका ने जाना कि लड़कियाँ सिर्फ किसी का "सहारा" ढूँढने के लिए नहीं बनीं।
उन्हें खुद भी एक मजबूत सोच बनानी चाहिए, ताकि जब वह किसी के साथ कदम से कदम मिला कर चलें, तो झुककर नहीं, बराबरी से चलें।

आज अंशिका जानती है —
मजबूती सिर्फ मांसपेशियों में नहीं होती, सबसे बड़ी ताकत सोच और समझ में होती है।
और अब उसका सपना है —
हर लड़की को यही सिखाना कि
"तुम नाज़ुक नहीं हो, तुम मजबूत हो — बस अपने अंदर झाँक कर देखो।"

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